मिथ्या इस संसार में, अर्थहीन सम्बंध।
मिथ्या इस संसार में, अर्थहीन सम्बंध।
देह घरोंदा जीव का, साँसों का अनुबंध ।
रिश्ते नातों के यहाँ, आभासी हैं रंग –
कर्मों की संसार में, पीछे रहती गंध ।
सुशील सरना / 28-2-27
मिथ्या इस संसार में, अर्थहीन सम्बंध।
देह घरोंदा जीव का, साँसों का अनुबंध ।
रिश्ते नातों के यहाँ, आभासी हैं रंग –
कर्मों की संसार में, पीछे रहती गंध ।
सुशील सरना / 28-2-27