मिथिला राज्य।
मिथिला राज्य। मिथिला राज्य के लेल स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद से प्रयास आ संघर्ष चल रहल हैय।परंच सफलता आइ तक न मिलल। कारण इ संघर्ष से आम लोक जुडल न रहे। मैथिल एगो खास जाति के नाम से जानैत जाइत रहे। मैथिल सभ के मानलो न गेल रहे।आइ तक भी मैथिल सभा एगो जाति के सभा होइत हैय।तैइला मिथिला राज्य आ मैथिली आंदोलन से दलित, पिछड़ा आ अल्पसंख्यक अलग रहे।आइ जब सभ वर्ग के जुड़े के बात चल रहल हैय। समेकित मैथिली के बात हो रहल हैय।सभ मिथिलावासी मैथिल हैय के बात हो रहल हैय। परंतु सांस्कृतिक आ धार्मिक रूप से मैथिल में भिन्नता हैय आ इ रहत।बात आब बिहार से घृणा के हैय। बिहार से घृणा के मतलब महात्मा बुद्ध, सम्राट अशोक, कबीर, रविदास, गुरु गोविंद सिंह, महावीर आ पैगेम्बर से हैय।हर मत के लोग मिथिलावासी हैय। मिथिला कोई खास धार्मिक स्थान न बल्कि सर्वधर्म स्थान हैय।परंच मिथिला आंदोलन एकतरफा विशेष लोक के आंदोलन बुझाई हैय।बहुतो राज्य बनलै परंच घृणा से न बल्कि अपन अधिकार के मांग से। झारखंड आ तेलंगाना बनलै। अधिकार के लेल संघर्ष से न कि घृणा से। घृणा से मिथिला न, मधेश बनै छैय।अइ से सबक लेवे के आवश्यकता हैय।
-आचार्य रामानंद मंडल, साहित्यकार सह सामाजिक चिंतक सीतामढ़ी।