मिथिला मैथिली के अगुआ दफानने रहल आ पिछलगुआ दबारल गेल
मिथिला मैथिली के त सभ दिन पेटपोसुआ सब अपना फायदा मे दफानने रहल आ वर्चस्व बना सोलकन राड़ (वंचित/बारल) लोक सब के धकियौने अपन राज बनौने रहल. जे लोक सब अपना आप के मैथिली सेवी हेबाक होहकारी करैए वास्तव मे त ओ सब ओतबेक पेंचबाज होइए जे मिथिला मैथिली कए अपन पेट पोसैए जेना मैथिली पुरस्कार,नोकरी, साहित्य अकादेमी, समारोह, आयोजन सब ठाम ओकरे आधिपत्य छै आ एकछाहा राज क रहलै? तेकर कतेको कारण छै.
साहित्यक जानकारी एकजुटता आ जातिवादी संगोर हेबाक कारने ई वर्चस्वादी सब मैथिली साहित्य के अपन बपौति बना खोधि खोधि खाइत रहल आ साहित्य सेवी हेबाक ढोंग करैत रहल. एकरा सबहक बिरोध कहियो नै भेलै आ वंचित वर्ग सोलकन सब बिरोधक स्वर मजगूत नै क वर्चस्वादी अगुआ सबहक पिछलगुआ बनि अपन बिधि पुरबैत रहल आ अंतोगत्वा वैह भेलै जे मैथिल बाभन कायस्थ सब अप्पन खूब नाम कमाएल जे प्रसिद्ध कवि/कथाकार/साहित्यकार आ एहि सुनियोजित दोकानदारी बले अकादमी पुरस्कार दफानैत रहल.
आ तेकर ठीक उनट मैथिली साहित्य मे सोलकन के कोनो मोजर नै देल गेलै आ एक आध टा नाम सब के बिधि पुरबै ले खोज पुछारी करैत रहलै जे सभहक मैथिली छियै से प्रचारित हेतै मुदा असल मे त बाभने कायस्थ टा के मैथिली छियै ओकरे शैली के मानक बना मोजर देल गेलै आ तेकरा पिछलगुआ सोलकन मानैत एलै आ बिरोध किनौ ने केलकै ग.
हमरा सन कतेको लेखक जे मिथिला मैथिली के यथार्थ ल मैथिली लाॅबी के बिरोध केलक तेकरा सबके सुनियोजित तरीका स धकिया के उपेक्षा कएल गेलै.
यथार्थ जनैतो अगुआ पिछलगुआ वा मैथिल समाज तेकर बिरोध नै केलकै आ ने करतै ग. केकरा कोन मतलब हइ?
सोलकन पिछलगुआ बनि हो हो करत दुत्कार सहत आ अप्पन मंच ने ठाढ़ करत आ ने सोलकन साहित्यकार के स्थापित करबा मे सहयोग करत आ की ओकर उपेक्षा भेला पर लड़त??
तब त सब दिन सोलकन वंचित रहबे करत आ बलू सैह होइत एलै ग. दोसर गप इहो हइ जे बाभन कियै सोलकन मोजर लै अवाज़ उठैते?? बिरोध भेला पर ओ सब इ कहि बिधि पुरा लैत छथि जे मैथिली मे एहिना होइत एलैइए?
औ जी महराज एहिना कहिं होइत एलैइए की सुनियोजित तरीका स सब दिन एहिना जातिवाद पक्षपात करैत रहलै बाभन किछु कायस्थ लाॅबी सब अपना फाइदा नफा दुआरे?? आ यैह यथार्थ छै मिथिला मैथिली के जेकरा मुँह नै झांपल जा सकैए?
एतेक तक जे सोलकन लेखक के लेखक हेबाक प्रमाण मैथिली लाॅबी स भेटतै तबे मानक अनुरूप मोजर सेहो ज पिछलगुआ होहकारी छि तब अन्यथा किशन कारीगर जेंका लेखक हेबाक प्रमाण जुटबैत आ बंटैत रहू धैन सति लै?
अकादमी, ज्यूरी, प्रकाशन, पत्रिका आयोजन, सबटा मैथिल बाभने दफानने हइ त वर्चस्व ओकरे रहलै आ छेबौ करै आ मैथिली के नाम पर दोकानदारी सेहो नीक करै छै? सोलकन के ताबे कोन मोजरे हइ मैथिली मे आ कए गोटे अगुएलै आ की सोलकन समाज अपना के मजगूत करै लै सामूहिक रूपे अगुएलै??
हमरा सन एक आध गोटे सिद्धांतवादि लोक अगुएबो केलै त उपेक्षित होइत रहलै आ संघर्ष तेहेन मजगूत नै भेलै? हेब्बो केना करतै बलू सोलकन समाज अपने निब्बदी मारनै हइ आ पिछलगुआ बनल जसौती कमैए मे अपसियांत हइ. त बाभनो ओकरा पिछलगुआ बना छोट मोट सम्मान द अपना इशारा पर नचबैत रहै छै आ उ सब अपन नफा कमा लैइए आ बुड़बक सोलकन ठकाएल रैह जाइ हइ? आ एहिना होइत एलै ग मैथिली मे?
जेकरा तीत लगौ आ तामस उठौ आ झुनझुनि ध लौ? मुदा कारीगर त मिथिला मैथिली के यथार्थ बजबे लिखबे करत.
डाॅ. किशन कारीगर
(नोट- काॅपिराइट अधिनियम तहत निबंधित)
12/09/2021..