मिथिला -मैथिली: असमंजस स्थिति।
मिथिला -मैथिली: असमंजस स्थिति।
-आचार्य रामानंद मंडल।
पहिले मिथिला। मिथिला राज्य निर्माणी असमंजस मे हय। कोनो प्राकृतिक मिथिला राज्य निर्माण के विचार मे हय।वो भारतीय आ नेपाली मिथिला के बात करैत हतन।अइ के लेल अतीत मे डा लक्ष्मण झा आ अन्य पाया तोड़ो आंदोलन कैलन।त कोई जेना अंतरराष्ट्रीय मैथिली परिषद के संरक्षक डा धनाकर ठाकुर उत्तर बंगाल आ झारखंड के कुछ भाग मिला के मिथिला राज्य निर्माण के विचार रखैत हतन।परंच दुनु विचार सामयिक न हय। भारत आ नेपाल स्थित मिथिला के एक्कीरण के लेल सुगौली संधि के रद्द करे के होतैय जे अंग्रेज़ आ नेपाल सरकार के बीच भेल हय।इ एगो अंतरराष्ट्रीय मामला हय।अइ पर नेपाल कहियो सहमत न होयत आ एगो नया विवाद खड़ा हो जायत।
दोसर बंगाल के उत्तर भाग आ झारखंड के कुछ भाग, दो राज्य के मामला बनत।वो राज्य कैला सहमत होयत।
राज्य पुनर्गठन के मामला केंद्राधीन होइ छैय परंच प्रस्ताव के राज्य विधान मंडल से पारित होनाइ आवश्यक होइ छैय। एकटा स्थिति इ होइ छैय कि राज्य मे राष्ट्रपति शासन होइ।अइ स्थिति मे संसद राज्य पुनर्गठन विधेयक के पारित कर सकैय छै।परंच राष्ट्रपति शासन लागू करनाइ टेढ़ी खीर हय।
अइ स्थिति मे उतर बिहार के मिथिला राज्य निर्माण के मांग उचित होयत। कारण कि वर्तमान बिहार सरकार प्रशासनिक रूप से बिहार के उत्तर बिहार आ दक्षिण बिहार मे बांट देलय हय। यथा -उत्तर बिहार ग्रामीण बैंक आ दक्षिण बिहार ग्रामीण बैंक। उत्तर बिहार विद्युत प्राधिकरण आ दक्षिण बिहार विद्युत प्राधिकरण। केन्द्रीय सरकार दक्षिण बिहार केन्द्रीय विश्वविद्यालय गया के निर्माण कैले हय।अइ स्थिति में केंद्र सरकार आ बिहार सरकार से जायज मांग कैल जा सकैय हय। उत्तर बिहार के सासंद आ विधान मंडल सदस्य सरकार पर दबाव बना सकैय हय।अइ प्रकार उत्तर बिहार के मिथिला राज्य बना के मिथिला राज्य के सपना पूरा भ सकैय हय।
आबि मैथिली। प्राकृतिक मैथिली खंड खंड मे बंटल हय। जेना केन्द्रीय वा मानक मैथिली, पच्छमी मैथिली वा बज्जिका दच्छिणी मैथिली वा अंगिका। कोनो साहित्यकार पच्छमी मैथिली के गिरल मैथिली वा बोली कहैत हतन त कोनो दच्छिणी मैथिली के छिका छिकी कहि के अपमानित करैत हतन। सरकार बज्जिका आ अंगिका के अलग-अलग करे पर तुलल हय त मानक मैथिली साहित्यकार भंगिआयल हय।सभ कालिदास के चेला बनल हतन।पाग -दुपट्टा के खेल खेलैत छतन। हुनका मैथिली के विकास आ संवर्द्धन से कोनो मतलब न हय।वो अभियो मैथिली महासभा के पारित प्रस्ताव के मिथिला के कानून बुझैत हतन। आबि हमरा सभ के समेकित मैथिली बनाबे के पड़त। मैथिली के भिन्न-भिन्न रूप केन्द्रीय मैथिली, पच्छमी मैथिली आ दच्छिणी मैथिली के मान साहित्य में स्थान देबे के पड़त। असमंजस से उबरू।
आउ मिथिला -मैथिली के विकास आ सम्बर्द्धन के लेल मिलजुल कर डेग बढ़ाउ।
जय मिथिला!जय मैथिली!
-आचार्य रामानंद मंडल सीतामढ़ी।