मिथिला के लाल: उपन्यास सम्राट फणीश्वरनाथ रेणु।
मिथिला के लाल: उपन्यास सम्राट फणीश्वरनाथ रेणु
-आचार्य रामानंद मंडल
विश्व प्रसिद्ध आंचलिक उपन्यास मैला आंचल के शिल्पकार फणीश्वरनाथ रेणु के जनम बिहार राज्य के मिथिलांचल स्थित अररिया जिला के औराही हिंगना गांव में शिलानाथ मंडल आ पानो देवी के पुत्र रूप में ०४ मार्च १९२१ में भेल रहे।
विश्व साहित्य के यथार्थ ग्रामीण पीड़ा के संवदिया, पारिवारिक सत्य, गृहस्थ जीवन के दर्पण आ राजनीतिक योद्धा रूपी एकटा मिसाल। कहीं कोई झोल पट्टी नै,धन धरती के मोह नै,बस,तन आ कपड़ा से देखे में रइस ,मन से कोसी के धूसर बंजर आ बांझ धरती के अनमोल छौड़ा आ भावना सं क्रांतिकारी रेणु के अइसन दर्जन विशेषता हैय जे हुनका अमर बनबैत हैय।
मैला आंचल,परती परिकथा, जुलूस, कितने चौराहे,दीर्घतपा,कंलक मुक्ति,ठूमरी, आदिम रात्रि की महक आ अग्निखोर आदि के सृजनकर्ता रेणु साहित्य जगत में तहलका १९५४मे मच गेल रहै मैला आंचल के उपरांत।
रेणु जी तीन भाइ रहैत, फणीश्वरनाथ,हरिनाथ आ महेन्द्र नाथ। फणीश्वरनाथ के तीन शादी भेल रहे।पहिल पत्नी रेखा देवी रहे।एगो लैइकी कविता के जनम देला के बाद चल बसल रहे। रेणु के दोसर विआह पद्मा देवी स भेल रहे। रेणु आजादी के लड़ाई में जीवंत हिस्सेदारी निभैलन। जुलूस जैसन रचना वोकर स्पष्ट प्रमाण हैय। लड़ाई के बीच में १९४२ में जेहल गेलन।पहिल कटिहार जेहल आ बाद में भागलपुर जेहल में रखल गेल रहै।उंहे हुनका यक्ष्मा के शिकायत भेल आ चिकित्सा के लेल पीएमसीएच पटना भेज देल गेल। चिकित्सा के अवधि में उंहा के एकटा नर्स लतिका के समर्पण आ सेभाभाव सं रेणु आ लतिका में प्रेम भ गेलै। हजारीबाग में जा के दूनू गोरे विआह कैं लेलन।
पद्मा रेणु सं सात संतान भेल।तीनटा लैइका आ चारटा लैइकी।मूल्य: इहे संतान सभ रेणु के पारिवारिक धूरी हैय।लैइका सभ हैय- पद्मपराग राय वेणु,अपराजित राय आ दक्षिणेश्वर राय।लैइकी सभ हैय-नवनीता, निवेदिता,अणपूर्णा आ वहीदा। लतिका रेणु सं कोनो संतान नै हैय।
पिता शिलानाथ मंडल के साहित्यिक रूझान आ राजनीतिक जागरूकता के अमिट छाप रेणु पर पड़लैन।आगे चल के रामदेनी तिवारी हुनका राजनीतिक आ साहित्यिक दिशा देखैलथिन।अइ के कारण रेणु कोनो विद्यालय में नै टिकला। कहियो फारविसगंज, कहियो सिमखन्नी, कहियो विराटनगर (नेपाल) के चक्कर लगवैत रहलन। नेपाल के कोइराला परिवार के संगति हुनका क्रांतिकारी बनैलन त बंगला के प्रख्यात साहित्यकार के संगति हुनका कहानीकार बना देलथिन। काशी विद्यापीठ के पढाई के अवधि में समाजवादी आचार्य नरेन्द्र देव के संगति पैलन।आ अंत में लोकनायक जयप्रकाश नारायण के कंधे से कंधा मिलाके अइसन साहित्यकार बन लन कि बिहार के वोइ सभ बुद्धिजीवी आ साहित्यकार के उद्वेलित कैलन जे मूलतः नपुंसक भे गेल रहे।
राजनीतिक रूझान के चलते १९७२ में रेणु जी फारविसगंज विधानसभा सं चुनाव लड़लैन परंच हार गेलन।
१९८७ में मैला आंचल पर निर्माता किशोर डंग आ निर्देशक अशोक तलवार धारावाहिक बनैलन आ जेकर टेलीकास्ट भेल रहै।
रेणु जी के कृति मारे गए गुलफाम पर तीसरी कसम फिल्म बन चुकल हैय।जेकर नायक राजकपूर आ नायिका वहीदा रहमान हैय।
रेणु जी अपन पद्मश्री के उपाधि श्रीमती इंदिरा गांधी के द्वारा आपातकाल लगैला पर बिरोध में लौटा देलन। आपातकाल के विरुद्ध लड़ाई में जेल गेलन। अपेंडिक्स के चिकित्सा के दौरान कौमा में चल गेलन आ अइ संसार से सदा के लेल विदा हो गेलन।
राहुल सांकृत्यायन आ प्रेमचंद के श्रेणी के लेखक आ क्रांतिकारी के निधन ११अप्रैल १९७७ के भे गेल।
अइसन वीर साहित्यकार पर मिथिला के गर्व हैय।