मित्र
एक मित्र थे कृष्ण के
जिन्हे सुदामा जाना
अमर आज भी जानिए
इनका ये दोस्ताना।
मित्र मिले तो अस मिले
जैसे मिला था कर्ण
मित्र सुयोधन हेतु किया
जिसने मृत्यु वरण।
एक मित्र सुग्रीव था
दूजा हुआ विभीषण
मित्रता की नीव पर
दोनों भये कुलभूषण।
राज पाट को दूर कर
केवट गले लगाय
एक नया मानक बना
केवट मित्र बनाय।
पृथ्वीराज का एक मित्र
नाम चन्दबरदायी।
खूब लिया प्रतिशोध मित्र का
अपनी जान गवायी।
मित्र एक चेतक हुआ
बेशक था बैजुबान
राणा की खातिर सुनो
किया जान कुर्बान।
अजब निभाई दोस्ती
नीर दूध के संग
जल कर खुद पहले मरा
बचा दूध का अंश।
महिमा मित्रों की सुनो
बहुत है अपरम्पार
प्रतिघाती मित्रों से सुनो
निर्मेष रहो होशियार।
निर्मेष