मित्र
★★★मित्र★★★
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मित्र तो बस मित्र है
वह आम है ना खास है।
मित्र से ही जीवन में
खुशीयाँ तेरे पास है।।
मित्र है तो सफल ये जीवन
मित्र बीना जैसे वन निर्जन।
मित्रता वह पुष्प सुगंधित
महके इस जीवन का उपवन।।
मित्र प्रेम की पावन गंगा
धनी मित्र या भुखा नंगा।
कभी ना उसको तुक्ष्य समझना
कभी न बनना बिल्ला रंगा।।
मित्र ही है जीवन का गहना
मित्र कृष्ण सा फिर क्या कहना।
जीवन दुभर या विकट डगर हो
हर पल मित्र के संग हीं रहना।।
मित्र है मथुरा मित्र ही काशी
कृष्ण राम जस घट-घट वासी।
अगर मित्र का साथ रहा तो
सफल जिन्दगी बनेगी दासी।।
©®
….पं.संजीव शुक्ल “सचिन”