तितली
फूल लगाए मैंने भाई
उन पर तितली मंडराई।
रंग बिरंगे पुष्प देख कर
भोली तितली चकराई।।
लाल गुलाबी नीले पीले
धवल बैंगनी नारंगी।
मीठे रस से भरे खजाने
पीकर हो गई चंगी।
खुशबू से मदहोश हुई तो
कांटों से जा टकराई।
ओ हो हो हो पीड़ादायक
बचा मुझे हे माई!!
मिला वहीं पर काला भौंरा
मस्त बड़ा अलबेला।
गाता गुनगुन रस पी लेता
कहता जीवन मेला।।
महकी बगिया चहकी चिड़िया
सारा आलम सरसाया।
कुदरत ने दोनों हाथों से
रंग धरा पर बरसाया।।
विमला महरिया “मौज”