मित्र का प्यार
मित्र का प्यार (वीर रस)
हुई मित्रता बहुत अनोखी,जुड़ा अभय दिल का है तार।
कभी नहीं यह बंधन टूटे,यह है निर्मल मन का प्यार।
प्यार अनोखा संगम होता,कभी न छूटे यह संसार।
सदा मित्रता मधुर भाव है,बहुत मोहिनी यह रसदार।
दुनिया भले छुट जाएगी,किन्तु नहीँ दोस्ती का प्यार।
प्यार मित्रता में बसता है,इसी बात को कर स्वीकार।
मित्र मिले तो प्यार मिलेगा,यह अनुपम संदेश विचार।
मंगल गीत मित्रता गाती,यह अनमोल शुद्ध साकार।
इसमें छिपा प्रेम का कायल,मानव मीत शिष्ट आचार।।
साहित्यकार डॉ0 रामबली मिश्र वाराणसी।