मित्र।
दोहे।। मित्र ।
जग में सच्चे मित्र से,,,,,,,,,,,मिलिए बारम्बार ।।
हृदय निहित हर भाव का,,करे सफल उपचार ।।
सच्चे उर से मित्रता ,,,,,,,,, उपजाती नित नेह।
मिटे हृदय के सूल सँग ,,,,,,,मन के सब सन्देह ।
जीवन की औषधि सरल, मित्र हास परिहास ।
राम मिले अनुकूलता,,,,,,,,सदा करो परयास ।।
©राम केश मिश्र