मित्रता (मुक्तक )
मित्र बनाते ,चलो तुम प्यारे ,
इस जीवन उलझन राहों में !
नेह का बन्धन जोड़ो सबसे,
तुम पतवार बनो मझधारों में !
तुम बनो संघाती कृष्ण के जैसे,
मैं सखा सुदामा बन जाऊं…
जब आये तेरे द्वार कभी तो
तुम भर लेना अपनी बाहों में …!!
राहुल पाल
फैजाबादी