” मित्रक दर्शन दुर्लभ “
डॉ लक्ष्मण झा “परिमल ”
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कियो -कियो त मित्रताक विशाल सेनाक संगठन क लेने छथि ! हमरा लोकनि प्रतिस्पर्धा मे लागल छी ! किनकर नेतृत्व मे कतेक महारथी क जुटान भेल ! हमरा बटालियन मे बहुतो धुरंधर अनुभवी धनुर्धारी छथि ! किनको लग लेखनी क परमाणु शस्त्र छनि ..कियो कला मे निपुण छथि…कियो द्रोणाचार्य त…किनको संयोगवश अर्जुन भेटल छनि…..एहि तरहें हम सब गोटें सम्पूर्ण सेन्य संगठनक सेनापति भेलहूँ !
अपन-अपन फेसबुक क रणक्षेत्र मे चक्रव्यूह क निर्माण केने छी तकर अनुमान दोसर पक्षक आन सेनापतिये लगा सकैत छथि ! ओना यथार्थ त किछु एहन छैक जे अधिकांश मित्र लोकनि अपन नामांकन क पश्यात पता नहि कोन नेपथ्य मे विलीन भ जाइत छथि तकर अनुमान नहि !
इएह एकटा विडम्बना छैक जे फेसबुक मित्रक साक्षात्कार बुझु दिवा स्वप्न थिक परन्च फेसबुक क रणक्षेत्र सं विलीन भेनाई केना दन बुझना जाइत अछि ! दस वा बीस प्रतिशत सेन्य अवकाश पर रहि सकैत छथि मुदा अस्सी प्रतिशत रणछोड़ भ जेताह त युध्य के लड़त ?
कखनो – कखनो हम सम्पूर्ण वर्ष धरि कुंभकरण क नींद मे सुतल रहित छी आ नींद अप्पन जन्म दिनक ढोल डमाका सुनि टूटि जाइत अछि ! ओहि दिन राति त हम जागल रहित छी तदुपरांत पुनः विलीन भ जाइत छी ! हम तेहने मित्र छी जे हमर फोटो फेसबुक क पन्ना मे सटने रहू आ सब दिन देखैत रहू मुदा प्रतिक्रिया वाला दर्शन हम कहियो नहि देब !
दर्शन तखने सदेव होइत रहत जखन विचारक आदान -प्रदान निरंतर चलैत रहत आ तखने इ मिथक ” मित्रक दर्शन दुर्लभ ” कें तोडि सकैत छी !
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डॉ लक्ष्मण झा “परिमल ”
साउंड हेल्थ क्लिनिक
एस ० पी ० कॉलेज रोड
दुमका
झारखण्ड
भारत