#मिट्टी की मूरतें
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★ #मिट्टी की मूरतें ★
समय बहुत अनमोल है
न यों ही गंवाया करें
तुम रूठ जाया करो प्रिये
और हम मनाया करें
समय बहुत अनमोल है . . .
स्वजनों के बीच बैठकर
वो कहनी कहानियाँ
चतुष्पथ पर भी कभी
गल्पखग उड़ाया करें
समय बहुत अनमोल है . . .
ऊँचे पेड़ हुए तो क्या
तुम प्रेम-उद्यान के
वंचितों को फल नहीं
न तप्तों को छाया करें
समय बहुत अनमोल है . . .
समय की उलझन-सुलझन में
मिट्टी की मूरतें
तुम हंस दिया करो कभी
कभी हम हंसाया करें
समय बहुत अनमोल है . . .
भोरकाल से आज दिवस तक
अभिलाषी अधरों के अधर
नवीनकाल नवप्रेम कथा
दो चरणचिह्न खो जाया करें
समय बहुत अनमोल है . . .
दिल की धड़कनों का बसर
दिल के साथ-साथ
आँखों के आसपास ठहर
आज कुछ नया-नया करें
समय बहुत अनमोल है . . . !
#वेदप्रकाश लाम्बा
यमुनानगर (हरियाणा)
९४६६०-१७३१२