मिटा दो दाढ़ी, टीका
टीका,दाढ़ी से नहीं, मिलते अल्ला, राम।
राग द्वेष को त्याग दो, बन जाएंगे काम।।
बन जाएंगे काम, रहोगे तब ना दुखिया।
कर देंगे कल्याण, जगत के हैं जो मुखिया।
चलो यहाँ अविराम,कर्म पथ पड़े न फींका।
तोड़ जगत के रीत, मिटा दो दाढ़ी, टीका।।
✍️जटाशंकर”जटा”