माहिया
माहिया
तन यौवन छाया है,
रूप तेरा फूलों जैसा,
दिल मेरा भरमाया है।
छवि आंखों में समाई है,
दिल में वास करें,
तू मेरी परछाई है।
छुप-छुप के न आया करो,
डोली लेके आजा बालमा,
रोज -रोज न सताया करो।
रुत प्रेम की आई है,
दिलों में हमारे गोरिए,
बाहर नई-नई छाई है।
चांद हंसता सितारों में,
चुप चुप के मिलने का,
मजा आता बहारों में।
मै राग, तू मेरी रागिनी,
झूमे सितारों में,
बनू चांद, तू बन चांदनी।
देखो रुत ये सुहानी है,
जग का डर कैसा,
मैं राजा , तू रानी है।
ललिता कश्यप गांव सायर जिला बिलासपुर हिमाचल प्रदेश