माहिया छंद विधान (पंजाबी ) सउदाहरण
माहिया एक पंजाबी छंद है और इस छंद में प्रेम रस की प्रधानता रहती है।
विधान – सममात्रिक छंद है , तीन पंक्तियों का छंद है
पहली और तीसरी पंक्ति में 12 मात्रा होती है व 4 दूसरी पंक्ति में 10 मात्रा होती है , मात्रा विन्यास द्विकल रहता 22 22 22
दो लघु को एक गुरु मान्य
इसमें पाँच मात्रा वाले शब्द जैसे 212 या 122 या 221 का उपयोग न करें
यदि 221 शब्द का प्रयोग करते हैं तो तुरंत बाद वाला शब्द 122 रखें , जगण शब्द भी वर्जित है , चरणांत गुरु अनिवार्य है,
प्रथम और तृतीय चरण तुकांत |
साजन जब घर आया
लाया फूलों को
देकर वह मुस्काया |
सजनी के मन भाया
थामा हाथों से
मन हर्षित भी पाया |
मन दरबाजे खोले
साजन देखा है
नैनों से वह बोले |
आया प्रीतम होले
मन के अंदर ही
वह भी कुछ बिन बोले |
मेरे घर आँगन में
साजन जब रहता
छिपता मेरे मन में |
सूरत देखी दर्पण
बोला तेरा है
पावन पूरा यह क्षण |
काली रातें आती
साजन बिन तन को
मन को भी भरमाती |
कोयल जब भी गाती
मन तड़फा करता
साजन यादें आती |
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दिन भर भाषण बोलें
नेता हैं अच्छे
संझा बोतल खोलें |
चमचे आए होले
हम समझें सच्चे
पर निकलें वह पोले ||
अपना मतलब जानें
बनते है भोले
घातें देकर मानें |
अंधों में है कानें
राजा कहलाते
देते है फिर तानें ||
रचना–स्वरचित व मौलिक
सुभाष सिंघई , जतारा ( टीकमगढ़ ) म० प्र०