माहिए
बागों में बहारें हैं
बिरह दुपहरी में
तेरी याद फुहारें हैं
सावन में आ जाना
हरियाली बनकर
मेरे मन पर छः जाना
यह प्रीत दीवानी है
विरह मिलन साजन
सारे जग की कहानी है
उजड़े हैं घर कितने
मिर्जा और साहिबां
जैसे हैं कई फितने
आशाओं का डेरा है
साजन दूर सही
आँखों में सवेरा है
सपने में आते हैं
दुनिया से डरते हैं
और प्यार जताते हैं
सपने तो सपने हैं
विपति में साथ जो दें
बस वे ही अपने हैं
अपनो से क्या कहना
ग़म नहीं दुनिया का
अपनो के संग रहना
चिड़ियाँ मुँह धोती हैं
हँसने रोने को
कुछ यादें होती हैं