“मास्टर जी का पाठ”
मास्टर जी भी कमाल करे हैं,
कोरोना में बच्चों, से, दूरी बनाए थे
मामा -मामी ,चाचा -चाची के घर,
शादी में धूम मचाए थे,
कोरोना का नहीं है डर, वे सब अपने,
ना ही कोई पराए थे,
मास्टर जी भी कमाल करे हैं………….
जब सरकार ने भेजा फरमान,
मास्टर जी गुर्राए थे,
कुछ ने लगाई मोहल्ला क्लास,
कुछ इससे कतराए थे,
मास्टर जी भी कमाल करे हैं……………
जहां शाला में दो-तीन शिक्षक,
शाला में जाने की ,बारी खूब बनाए थे,
कभी हम, कभी तुम लेकिन,
पूरी तनख्वाह ,पाकर, खूब मौज मनाए थे,
मास्टर जी भी कमाल करे हैं…………….
बच्चे कहते कब आओगे शिक्षक,
याद… बहुत, आती है हमको,
कोरोना …..हटे तब आते हैं ,घर में रहना,
यही पाठ समझाए थे,
मास्टर जी भी कमाल करे हैं…………….
कोरोना की आड़ में शिक्षक,
घर बैठे जश्न मनाए थे,
खुद के बच्चों की चिंता लेकर
खूब अफसोस जताए थे,
मास्टर जी भी कमाल करे हैं…………..
घर बैठे बच्चों को कैसे पढ़ाएं,
मास्टर जी समझ ना पाए थे,
ख्याल करें उन बच्चों का भी,
अशिक्षित मां -बाप, मोबाइल भी ना पाए थे,
ना जाने, इस घटना से बच्चों में कैसे?
क्या? गुण- अवगुण आए थे,
मास्टर जी भी कमाल करे हैं……………
अफसोस एक दिन ऐसा आया,
सड़क पर, घायल मास्टर ,हाहाकार मचाए थे,
मास्टर जी का पाठ, बच्चे खूब निभाए थे,
सामने आए बच्चे भी…… दूरी खूब बनाए थे,
मास्टर जी भी कमाल करे हैं…………..
याद आ गया मास्टर जी को पल- पल
मोहल्ला क्लास से ,कैसे जी चुराए थे,
आज चाह कर भी बच्चों से, कुछ भी,
बोल ना पाए थे, कुछ भी… बोल ना पाए थे,
मास्टर जी भी कमाल करे थे।
कोरोना में बच्चों से दूरी बनाए थे।।