मासूम की गाथा….बीन नैना जीना दुश्वार…
निर्दोष नाज़ुक, कोमल था एक मासूम,
खड़ा था वो बस स्टॉप पे,
कर रहा था इंतज़ार वो बस का,
थोड़ी थोड़ी देर मे वो सबको पूछता था।
थोड़ा सा घबराया हुआ, थोड़ा सा बेचैन,
कुदरत से हैं मेरा सवाल…?
हुए खता क्या उससे,
क्यों हालत उसकी ऐ बनाई,
देखकर अखियां मेरी भर आए….!
शिकायत करु, या विनंती करु
या करु अफसोस…बंया…
रे…. ईश्वर शायद तुमसे हो गई हैं खता ।।
तुं क्यो भूल गया मासूम को,
क्यों…नहीं दी उसको अखियां…कहां ले गया ……..