माला की महिमा पर कुछ कुंडलियाँ —आर के रस्तोगी
माला में बहुत गुण है, सदा राखिये पास |
मंच पर चढ़ने के लिये ये है एक गेट पास ||
ये है एक गेट पास,तभी तो माला डालोगे |
माला डालने पर ही नेता तुमको पहचानेगे ||
कह रस्तोगी कविराय,सुंनो अक्ल के लाला |
सब काम बन जायेगे जब पहनाओगे माला ||
माला डलवाने के लिये,लगी है होडम होड़ |
जो आगे खड़े थे,उनको पीछे दिया है छोड़ ||
उनको पीछे दिया है छोड़,एक युवती आई |
माला उसके हाथ में थी पर वह सकुचाई ||
कह रस्तोगी कविराय,झट बोली वह बाला |
वादा किया था मुझसे अब डलवाओ माला ||
माला डालते ही नेता जी हुये खूब नाराज |
भरी सभा में उनकी ,उतर गयी थी लाज ||
उतर गयी थी लाज,नेता जी गुस्से में बोले |
बतलाओ उसके लिये दरवाजे किसने खोले ||
कह रस्तोगी कविराय,सुनो भई नेता लाला |
कुवारें घूम रहे थे इसलिए डलवाई थी माला ||
आज कल नेता बड़ी बड़ी माला है बनवाते
माला बनावाकर उसमे एक संग घुस जाते
एक संग घुस जाते,साथ में फोटो भी खिचवाते
जब तक फोटो न खीच जाये साथ में खड़े रहते
कह रस्तोगी कविराय,ये करते नही कोई काज
बड़ी माला में फोटो खिचवाते ये नेता है आज
आर के रस्तोगी
गुरुग्राम (हरियाणा )