मारने वाले का कोई धर्म नहीं
है मानव तुझे कया जरूरत थी बम बनाने की।तेरा यहां कुछ नहीं है.फिर भी तू लड़ रहा है।मानव मानव को अगर मारता है तो समझ लेना वह आदमी मात्र नही हो सकता है।इनसान तो पहले सेही मरा है ।जन्म से पहले मृत्यु से भरा है।शायद नही समझ पायेगा ।मानव धर्म की परिभाषा ।कयोंकि तेरा मन अहकार से भरा पड़ा है।किसी को मारने से पहले उसे क्षमा कर देना ।मारने से जयादा क्षमा सजा होती है।तुझे मालूम नही क्षमा की शक्ति ।सब बलो से पृबल है किसी की भक्ति।युद्ध वहां होता है।जहाँ सिर्फ अहकार होता है।मानव तो मर चुका होता है।कयोकि मारने बाले का कोई धर्म नही होता है।