माया
यदि लक्ष्य नहीं कोई है तो, फिर कहां मजा है जीने का।
यदि पूस की रात ही बीत गई, क्या लाभ है गुदड़ी सीने का।।
कावड़ झूले जब नहीं रहे, क्या मतलब सावन के महीने का।
तू डूब रहा दरिया दुख में, क्या मतलब है दोस्त कमीने का।।
यदि मां बाप पड़े वृद्धाश्रम में, तेरे श्रम का उपयोग है क्या।
जब संवेदनहीन हुए रिश्ते, धन वैभव का उपभोग है क्या।।
अपने ही मारे फिरने लगे, यह पारिवारिक सहयोग है क्या।
ईर्ष्या कटुता जो पाले हो, यह केवल एक संजोग है क्या।।