माया विरुद्ध वास्तविकता
माया एक प्रकार का भ्रम है जो तथ्यों के विरूपण के बाहरी प्रभाव से संचालित होता है।
वास्तविक वह है जो दिखाई देता हैं, जबकि वास्तविकता मस्तिष्क की विश्लेषणात्मक क्षमता के आधार पर तथ्यों का गठन है।
भ्रम पर्यावरण के सृजन के द्वारा इस प्रकार नियंत्रित होता है कि मानसिक शक्तियां किसी व्यक्ति की विश्लेषणात्मक योग्यता का प्रयोग किये बिना उसे वास्तविक मानने को प्रवृत्त होती हैं।
यह व्यक्तिगत विश्वास, , भूतकाल के अनुभवों, शिक्षा, सामुहिक मानसिकता, निष्कर्ष निकालने में परंपरागत पक्षपाती दृष्टिकोण, अंधविश्वास और हर एक व्यक्ति की पूर्वाग्रह युक्त मानसिकता पर निर्भर करता है जो उस व्यक्ति की व्यक्तिगत सोच को प्रभावित करता है।
“अवलोकन” की कहावत ऐसे मामलों में गलत साबित होती है अर्थात जो आँखों से देखा जाता है वह सभी मामलों में एक सार्वभौमिक नियम के रूप में सत्य नहीं हो सकता।
वास्तविकता किसी भी पदार्थ के पीछे के तथ्य पर आधारित होती है जो सार्वभौमिक तार्किक आधार पर आधारित होती है और एक बुद्धिमान व्यक्ति द्वारा मस्तिष्क के विश्लेषणात्मक अनुप्रयोग पर सही सिद्ध होती है.
दैनिक जीवन में हमें ऐसी अनेक घटनाओं का आभास मिलता है जो व्यापार की जादुई चालों का कारण बन सकती है । अथवा ऐसा वातावरण उत्पन्न कर सकती है जो जनता के मस्तिष्क को प्रभावित करती है । जिससे कि वह किसी विशिष्ट व्यक्तिगत लाभ प्राप्त करने के लिए जनता के मन पर नियंत्रित करने वाले अन्तर्निहित उद्देश्यों की प्राप्ति हेतु सत्य प्रतीत हो।
ऐसी घटनाएं भी होती हैं जहां तथाकथित गॉडमैन अपनी अवैध गतिविधियों की दुकानें चलाने के लिए लोगों को सम्मोहित कर लेते हैं।
इस प्रकार के धूर्तों ने निरीह लोगों के मन पर नियंत्रण के लिए विभिन्न प्रकार की तरकीबों और तकनीकों का प्रयोग किया है।
इन धोखेबाज़े से मिलीभगत करके ऐसी गतिविधियों को बढ़ावा देने में मीडिया और विज्ञापन भी अहम भूमिका निभाते हैं.
कुछ ऐसी घटनाएं हैं जिनमें वास्तविक पदार्थ असत्य प्रतीत होता है, क्योंकि इस तथ्य के विश्लेषण के आधार पर जो कसौटी निर्धारित है वह सतही है और उस तथ्य की जांच करने के लिए पूर्णता से विवेचना एवं गूढ़ता से छानबीन का अभाव है । जिससे अंततः निर्णय करने में त्रुटि आती है।
अतः किसी व्यक्ति के निर्णय में उसका विवेक तार्किक मंच पर तथ्यों का निर्धारण कर भ्रम और वास्तविकता के अंतर को स्पष्ट करने में सहायक सिद्ध होता है।