मापनी-विज्ञान
मापनी-विज्ञान
मापनी का तरंग सिद्धान्त
लघु-गुरु स्वरों को एक विशेष क्रम में रखकर स्वाभाविक उच्चारण करने से एक लयात्मक तरंग उत्पन्न होती है। इस तरंग के विभिन्न खंडों से मापनी बनती है। यदि तरंग वाचिक मात्राभार पर आधारित है तो उसे वाचिक तरंग कहेंगे और उससे वाचिक मापनी बनेगी और यदि तरंग वर्णिक मात्राभार पर आधारित है तो उसे वर्णिक तरंग कहेंगे और उससे वर्णिक मापनी बनेगी।
वाचिक मापनी और वाचिक छंदों का निगमन
इसको समझने के लिए हम वाचिक मात्राभार पर आधारित लघु-गुरु की एक लयात्मक वाचिक तरंग के कुछ उदाहरण लेते हैं। यहाँ पर सुविधा की दृष्टि से अंकावली का प्रयोग किया गया है जिसको परिवर्तन तालिका की सहायता से लगावली या गणावली में सरलता से परिवर्तित किया जा सकता है।
1. वाचिक तरंग – एक
212221222122212221222 ……..
इस वाचिक तरंग के विभिन्न खंडों से बनने वाली वाचिक मापनियाँ और संबन्धित मात्रिक छन्द निम्न प्रकार हैं –
(1) प्रारम्भ से क्रमशः 7, 8, 11, 12, 14, 15, 16 स्वर लेने पर –
2122 212 वारातागा
2122 2122 मनोरम
2122 2122 212 आनंदवर्धक
2122 2122 2122 सार्धमनोरम
2122 2122 2122 21 रूपमाला
2122 2122 2122 212 गीतिका
2122 2122 2122 2122 माधवमालती
(2) प्रारम्भ का 2 छोडकर दूसरे स्वर से प्रारम्भ करते हुये क्रमशः 8, 11, 12, 16 स्वर लेने पर –
1222 1222 विजात
1222 1222 122 सुमेरु
1222 1222 1222 सिन्धु
1222 1222 1222 1222 विधाता
(3) प्रारम्भ के तीन स्वर 212 छोडकर चौथे स्वर से प्रारम्भ करते हुए क्रमशः 4, 12, 16 स्वर लेने पर –
2212 2212 मधुमालती
2212 2212 2212 सार्धमधुमालती
2212 2212 2212 2212 हरिगीतिका
उपर्युक्त सम्बन्धों को एक दृष्टि में निम्नप्रकार भी देखा जा सकता है –
212221222122212221222122 ….. (वाचिक तरंग- एक)
2122212 वाचिक रातागा
21222122 मनोरम
21222122212 आनंदवर्धक
212221222122 सार्द्धमनोरम
21222122212221 रूपमाला
212221222122212 गीतिका
2122212221222122 माधवमालती
*12221222 विजात
*12221222122 सुमेरु
*122212221222 सिन्धु
*1222122212221222 विधाता
***22122212 मधुमालती
***221222122212 सार्धमधुमालती
***2212221222122212 हरिगीतिका
इसी प्रकार हम एक दूसरी लयात्मक तरंग का उदाहरण ले सकते हैं –
2. वाचिक तरंग – दो
212212212212212212212212 …….
इस वाचिक तरंग के विभिन्न खंडों से बनने वाली वाचिक मापनियाँ और संबन्धित मात्रिक छन्द निम्न प्रकार हैं –
(1) प्रारम्भ से क्रमशः 6, 9, 10, 12, 24 स्वर लेने पर –
212 212 वाविमोहा
212 212 212 वामहालक्ष्मी
212 212 2122 वाबाला
212 212 212 212 वास्रग्विणी
212 212 212 212 212 212 212 212 वागंगोदक
(2) प्रारम्भ का एक स्वर 2 छोडकर दूसरे स्वर से प्रारम्भ करते हुए क्रमशः 6, 9, 11, 12 और 24 स्वर लेने पर –
122 122 वासोमराजी
122 122 122 वासार्द्धसोमराजी
122 122 122 12 शक्ति
122 122 122 122 वाभुजंगप्रयात
122 122 122 122 122 122 122 122 वामहाभुजंगप्रयात
(3) प्रारम्भ के दो स्वर 21 छोडकर तीसरे स्वर से प्रारम्भ करते हुए क्रमशः स्वर लेने पर – 6, 11, 12 और 23 स्वर लेने पर –
221 221 वामंथान
221 221 221 22 वाविध्वंकमाला
221 221 221 221 वासारंग
221 221 221 221 221 221 221 2 वामंदारमाला
उपर्युक्त सम्बन्धों को एक दृष्टि में निम्नप्रकार भी देखा जा सकता है –
212212212212212212212212212 ……. (वाचिक तरंग)
212212 वाविमोहा
212212212 वामहालक्ष्मी
2122122122 वाबाला
212212212212 वास्रग्विणी
212212212212212212212212 वागंगोदक
*122122 वासोमराजी
*122122122 वासार्द्धसोमराजी
*12212212212 शक्ति
*122122122122 वाभुजंगप्रयात
*122122122122122122122122 वामहाभुजंगप्रयात
**221221 वामंथान
**22122122122 वाविध्वंकमाला
**221221221221 वासारंग
**2212212212212212212212 वामंदारमाला
3. वाचिक तरंग – तीन
212121212121212121212121 … …
इस वाचिक तरंग के विभिन्न खंडों से बनने वाली वाचिक मापनियाँ और संबन्धित मात्रिक छन्द निम्न प्रकार हैं –
(1) प्रारम्भ से क्रमशः 6, 9, 10, 12, 24 स्वर लेने पर –
2121 212 वासमानिका
2121 2121 वामल्लिका
2121 2121 212 वाश्येनिका
2121 2121 2121 वासार्द्धमल्लिका
2121 2121 2121 2 वाराग
2121 2121 2121 212 वाचामर
2121 2121 2121 2121 वाचंचला
2121 2121 2121 2121 2121 वावृत्त
(2) प्रारम्भ का एक स्वर 2 छोडकर दूसरे स्वर से प्रारम्भ करते हुए क्रमशः 6, 9, 11, 12 और 24 स्वर लेने पर –
1212 1212 वाप्रमाणिका
1212 1212 1212 वासार्द्धप्रमाणिका
1212 1212 1212 12 वाअनंद
1212 1212 1212 1212 वापंचचामर
उपर्युक्त सम्बन्धों को एक दृष्टि में निम्नप्रकार भी देखा जा सकता है –
212121212121212121212121 … (वाचिक तरंग- तीन)
2121212 वासमानिका
21212121 वामल्लिका
21212121212 वाश्येनिका
212121212121 वासार्द्धमल्लिका
2121212121212 वाराग
212121212121212 वाचामर
2121212121212121 वाचंचला
21212121212121212121 वावृत्त
*1212 1212 वाप्रमाणिका
*1212 1212 1212 वासार्द्धप्रमाणिका
*1212 1212 1212 12 वाअनंद
*1212 1212 1212 1212 वापंचचामर
वर्णिक मापनी और वर्णिक छंदों का निगमन
इसको समझने के लिए हम वर्णिक मात्राभार पर आधारित लघु-गुरु की लयात्मक वर्णिक तरंग के कुछ उदाहरण लेते हैं (अंकों में दिये गये मात्राक्रम को परिवर्तन तालिका की सहायता से स्वरक या लगावली में सरलता से परिवर्तित किया जा सकता है) –
1. वर्णिक तरंग – एक
112112112112112112112112112 ……
इस वर्णिक तरंग के विभिन्न खंडों से बनने वाली वर्णिक मापनियाँ और संबन्धित वर्णिक छन्द निम्न प्रकार हैं –
(1) प्रारम्भ से क्रमशः 6, 11, 12, 14, 15, 24 वर्ण लेने पर निम्न मापनियाँ और उनसे संबन्धित वर्णिक छन्द प्राप्त होते हैं –
112 112 तिलका
112 112 112 11 शील
112 112 112 112 तोटक
112 112 112 112 11 मनोरम
112 112 112 112 112 नलिनी
112 112 112 112 112 112 112 112 दुर्मिल सवैया
(2) प्रारम्भ का एक वर्ण लघु 1 छोडकर दूसरे वर्ण से प्रारम्भ करते हुये क्रमशः 4, 6, 12, 23, 24 वर्ण लेने पर निम्न मापनियाँ और उनसे संबन्धित वर्णिक छन्द प्राप्त होते हैं –
121 1 धर
121 121 मालती
121 121 121 121 मोतियदाम
121 121 121 121 121 121 121 12 सुमुखी सवैया
121 121 121 121 121 121 121 121 मुक्तहरा सवैया
121 121 121 121 121 121 121 121 1 लवंगलता सवैया
(3) प्रारम्भ के दो वर्ण लगा 12 छोडकर तीसरे वर्ण से प्रारम्भ करते हुये क्रमशः वर्ण लेने पर निम्न मापनियाँ और उनसे संबन्धित वर्णिक छन्द प्राप्त होते हैं –
211 211 2 तपी
211 211 211 शुभोदर
211 211 211 2 सारवती
211 211 211 211 मोदक
211 211 211 211 211 211 211 2 मदिरा सवैया
211 211 211 211 211 211 211 21 चकोर सवैया
211 211 211 211 211 211 211 211 किरीट सवैया
उपर्युक्त सम्बन्धों को एक दृष्टि में निम्नप्रकार भी देखा जा सकता है –
112112112112112112112112112 …… (वर्णिक तरंग)
112112 तिलका
11211211211 शील
112112112112 तोटक
11211211211211 मनोरम
112112112112112 नलिनी
112112112112112112112112 दुर्मिल सवैया
*1211 धर
*121121 मालती
*121121121121 मोतियदाम
*12112112112112112112112 सुमुखी सवैया
*121121121121121121121121 मुक्तहरा सवैया
*1211211211211211211211211 लवंगलता सवैया
**2112112 तपी
**211211211 शुभोदर
**2112112112 सारवती
**211211211211 मोदक
**2112112112112112112112 मदिरा सवैया
**21121121121121121121121 चकोर सवैया
**211211211211211211211211 किरीट सवैया
2. वर्णिक तरंग- दो
12121212121212121212121 … …
इस वर्णिक तरंग के विभिन्न खंडों से बनने वाली वर्णिक मापनियाँ और संबन्धित वर्णिक छन्द निम्न प्रकार हैं –
(1) प्रारम्भ क्रमशः 6, 9, 11, 12 और 24 स्वर लेने पर –
1212 1212 प्रमाणिका
1212 1212 1212 सार्द्धप्रमाणिका
1212 1212 1212 12 अनंद
1212 1212 1212 1212 पंचचामर
(2) प्रारम्भ का एक वर्ण लघु 1 छोडकर दूसरे वर्ण से प्रारम्भ करते हुये क्रमशः 7, 8, 11, 12, 13, 15, 16, 20, वर्ण लेने पर निम्न वर्णिक मापनियाँ और उनसे संबन्धित वर्णिक छन्द प्राप्त होते हैं –
2121 212 समानिका
2121 2121 मल्लिका
2121 2121 212 श्येनिका
2121 2121 2121 सार्द्धमल्लिका
2121 2121 2121 2 राग
2121 2121 2121 212 चामर
2121 2121 2121 2121 चंचला
2121 2121 2121 2121 2121 वृत्त
उपर्युक्त सम्बन्धों को एक दृष्टि में निम्नप्रकार भी देखा जा सकता है –
12121212121212121212121 … (वर्णिक तरंग)
12121212 प्रमाणिका
121212121212 सार्द्धप्रमाणिका
12121212121212 अनंद
1212121212121212 पंचचामर
*2121212 समानिका
*21212121 मल्लिका
*21212121212 श्येनिका
*212121212121 सार्द्धमल्लिका
*2121212121212 राग
*212121212121212 चामर
*2121212121212121 चंचला
*21212121212121212121 वृत्त
इस प्रकार हम इस निष्कर्ष पर पहुँचते हैं कि एक लयात्मक तरंग से अनेक मापनियों और छदों का निगमन किया जा सकता है। यही मापनी-विज्ञान है। इसे समझने के बाद हम और भी अनेक तरंगों से अनेक मापनियों और छंदों का निगमन कर सकते हैं। सुधी पाठक यथारूचि निम्न वर्णिक तरंग से विविध मापनियों और वर्णिक छन्दों का निगमन कर सकते हैं-
3. वाचिक तरंग- तीन
221221221221221221221221221221 … …
इस तरंग से मापनियों के निगमन का अभ्यास पाठक स्वयं कर सकते हैं।
सीमाएँ
(1) इस तरंग सिद्धान्त से मापनीमुक्त छंदों का निगमन संभव नहीं है।
(2) इस तरंग सिद्धान्त से केवल उन्हीं मापनियों और संबन्धित छंदों का निगमन संभव है जिनमें एक ही स्वरक की पूर्ण या आंशिक क्रमागत आवृत्ति होती है। अन्य प्रकार की मापनियाँ अलग-अलग प्रकृति के तरंग-खंडों के योग से बनती हैं।
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संदर्भ ग्रंथ – ‘छन्द विज्ञान’, लेखक- ओम नीरव, पृष्ठ- 360, मूल्य- 400 रुपये, संपर्क- 8299034545