मापदंड दुहरे हुए, ….राजनीति के आज
हक़ तो वह होगी नहीं , और न होगी भीख !
छोटों से पायी हुई ,…. कोई अच्छी सीख !!
क्या होगी इससे अधिक, नासमझी की बात !
करे छात्र जब देश का, .आजादी पर घात! !
मापदंड दुहरे हुए, ….राजनीति के आज !
देशभक्ति की बात बस, लगती एक रिवाज !!
ऐसे कैसे मान लें.उनकी अनुचित माँग !
रखना चाहें व्यर्थ जो,अपनी ऊँची टाँग !!
रमेश शर्मा.