Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
7 Mar 2024 · 1 min read

मान तुम प्रतिमान तुम

गीत
मान तुम, प्रतिमान तुम, मेरे जीवन की दशा
कहते घुँघरू पाँव के, भूल जाओ अवदशा

नसीब में जो था नहीं, है मिला मुझको यहाँ
करीब वो जो थे नहीं, हैं मिले मुझको यहाँ
हार कर भी मैं न हारा, जीत का चढ़ा नशा
कहते घुँघरू पाँव के, भूल जाओ अवदशा

क्या गिला इस धूप से, आग में जो तपी-तपी
संग- संग था चंद्रमा, और धरा डरी-नपी
सुगंध थी स्वेद में, मैं हँसा.. ओ पूर्वदशा
कहते घुंघरू पाँव के, भूल जाओ अवदशा।।

सूर्यकान्त

Language: Hindi
Tag: गीत
101 Views
Books from Suryakant Dwivedi
View all

You may also like these posts

सफाई कामगारों के हक और अधिकारों की दास्तां को बयां करती हुई कविता 'आखिर कब तक'
सफाई कामगारों के हक और अधिकारों की दास्तां को बयां करती हुई कविता 'आखिर कब तक'
Dr. Narendra Valmiki
ऊँ
ऊँ
Rajesh Kumar Kaurav
माँ मेरी जादूगर थी,
माँ मेरी जादूगर थी,
Shweta Soni
बहते हुए पानी की तरह, करते हैं मनमानी
बहते हुए पानी की तरह, करते हैं मनमानी
Dr.sima
सांसों के सितार पर
सांसों के सितार पर
Dr. Ramesh Kumar Nirmesh
गीतिका और ग़ज़ल
गीतिका और ग़ज़ल
आचार्य ओम नीरव
रिश्ते
रिश्ते
Dr fauzia Naseem shad
#बिखरी वचनकिरचें
#बिखरी वचनकिरचें
वेदप्रकाश लाम्बा लाम्बा जी
दीन-दयाल राम घर आये, सुर,नर-नारी परम सुख पाये।
दीन-दयाल राम घर आये, सुर,नर-नारी परम सुख पाये।
Anil Mishra Prahari
Qabr
Qabr
Fuzail Usman
हवस दिमाग से पैदा होती है और शरीर के रास्ते बाहर निकलती है द
हवस दिमाग से पैदा होती है और शरीर के रास्ते बाहर निकलती है द
Rj Anand Prajapati
पुष्प
पुष्प
Dhirendra Singh
कठिन काम करने का भय हक़ीक़त से भी ज़्यादा भारी होता है,
कठिन काम करने का भय हक़ीक़त से भी ज़्यादा भारी होता है,
Ajit Kumar "Karn"
अपने पराए
अपने पराए
Kanchan verma
अन्नदाता कृषक
अन्नदाता कृषक
Rambali Mishra
रक्षाबंधन और सुरक्षा
रक्षाबंधन और सुरक्षा
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
*पुस्तक समीक्षा*
*पुस्तक समीक्षा*
Ravi Prakash
यही तो मजा है
यही तो मजा है
Otteri Selvakumar
Allow yourself
Allow yourself
Deep Shikha
दोहा - कहें सुधीर कविराय
दोहा - कहें सुधीर कविराय
Sudhir srivastava
रिश्ते सभी सिमटते जा रहे है,
रिश्ते सभी सिमटते जा रहे है,
पूर्वार्थ
मोहब्बत
मोहब्बत
निकेश कुमार ठाकुर
#प्रणय_गीत-
#प्रणय_गीत-
*प्रणय*
कुंडलिया
कुंडलिया
Sarla Sarla Singh "Snigdha "
प्रेम में मिट जाता है, हर दर्द
प्रेम में मिट जाता है, हर दर्द
Dhananjay Kumar
त्रिपदा छंद
त्रिपदा छंद
sushil sarna
पृथ्वी की परिधि
पृथ्वी की परिधि
अंकित आजाद गुप्ता
"आहट "
Dr. Kishan tandon kranti
World stroke day
World stroke day
Tushar Jagawat
पलकों पे सपने लिए, लाँघे जब दहलीज।
पलकों पे सपने लिए, लाँघे जब दहलीज।
डॉ.सीमा अग्रवाल
Loading...