मानव का क्या हाल हो गया
मुश्किल बड़ा सवाल हो गया
मानव का क्या हाल हो गया
देख दूसरों को जलता है
जो पाया वो कम लगता है
असंतोष है मन के अंदर
खुशियों से कंगाल हो गया
मानव का क्या हाल हो गया
मेहनत को भी करके देखा
मिला लकीरों का ही लेखा
किस्मत की शर्तों पर चलकर
लगता है बेताल हो गया
मानव का क्या हाल हो गया
चुभे नुकीले शूल पाँव में
मिली तपन ही यहाँ छाँव में
कैसे कह दे रोते रोते
घायल दिल खुशहाल हो गया
मानव का क्या हाल हो गया
मोल प्यार का समझ न पाया
माया ने इतना भरमाया
भटक रहा है इधर उधर ही
कितना ये वाचाल हो गया
मानव का क्या हाल हो गया
23-02-2022
डॉ अर्चना गुप्ता