मानवीय मूल्य
जब कभी हमारी इस दुनिया में मूल्यों नीतियों का दमन होता है
खुदगर्ज़ और कमज़र्द लोगों में बड़े ग़ज़ब का समन्वयन होता है
जब कभी आदर्शों की आहुति दे खोखले नायकों का चयन होता है
अनीती ओढ़ती है न्याय का चोला रहनुमाओं में दिवालियापन होता है
कागज़ी फूल हों चाहे जितने रंगीन
उनसे कब कोई खिला चमन होता है
खुदी से बढ़ कर, कोई खुदा नहीं होता
सच का आईना तो चालचलन होता है
खुद्दारी, ईमानदारी के माना कोई तमगे नहीं होते
पर, उन्हीं से ऊंचा, कामयाबी का परचम होता है
रखनी है तो रख उम्मीद, खुद से या खुदा से नितिन
कहते हैं नेकनियती, वफादारी में बड़ा वज़न होता है
~ नितिन कुलकर्णी “छीण”