मानवता के पथ पर
मानवता के पावन पथ पर,
मदद भाव है उर में जगता।
धर्म जाति का भेद भाव सब,
दूर हृदय से है अति भगता।
ईश्वर हर इक ही मानव को,
ज्ञान बुद्धि से पूर्ण बनाता।
नहीं किसी को धर्म जाति के,
भेद भाव है वह सिखलाता।
पर इस जग में मानव ही तो,
भेद भाव है सारा रचता।
मानवता के पावन पथ पर,
मदद भाव है उर में जगता।
भाव अहिंसा प्रेम दया सब
समुचित शिक्षा से है मिलता।
धर्म जाति का अति कटु बंधन,
मानव के उर से है मिटता।
मानवता का सार समझ कर,
कर्म उच्च हर मानव करता।
मानवता के पावन पथ पर,
मदद भाव है उर में जगता।
लाल रक्त है हर मानव का,
प्राण वायु भी सब हैं लेते।
फिर किन आधारों पर हमसब,
भेद अनेकों ही कर देते।
ओम कहे सत समझो साथी,
बाँट हमें है कोई ठगता।
मानवता के पावन पथ पर,
मदद भाव है उर में जगता।।
ओम प्रकाश श्रीवास्तव ओम