माधव मालती (28 मात्रा ) मापनी युक्त मात्रिक
माधव मालती (28 मात्रा ) मापनी युक्त मात्रिक
गाल गा गा – गाल गा गा -गाल गा गा -गाल गा गा
न्याय भाता है उसे ही जो यहाँ ईमान वाला |
सत्य को ही मानता है जो हमेशा शान आला |
राह में भी जो मिलेगें साथ आएँ होंसलों से –
चाँद तारे भी चलेगें और देगें वें उजाला |
चार पैसे हाथ आएँ लोग खोटा बोलते हैं |
चूर होते गर्व में भी दौलतों से तोलते हैं |
भूलते है साथ के भी मित्र जो होते पुराने –
बात होती न्याय की तो तेल – सा ही खोलते हैं |
चाह देखी है यहाँ भी कीमती हो गेह मेरा |
सामने का भी मिले जो देखता हूँ आज तेरा |
चाहतों के ये फसाने लोग जाने फायदे भी –
हाथ में लेके सजाते स्याह काला ही अँधेरा |
सुभाष सिंघई