मादक अखियों में
गीत
मादक अखियों में
मैं तो अब हो चुका तुम्हारा
तुम भी मेरी हो जाओ ।
कोरी मादक इन अँखियों में
रिमझिम बनकर खो जाओ ।।
नित्य प्रतीक्षा रत वर्षों से
जगी रात भर ये आँखें ।
नहीं हौसलों में उड़ पाया
तुम बिन टूटी हैं पाँखें ।।
उर्वर उर की इस मिट्टी में
बीज प्यार के बो जाओ ।
मैं तो अब हो चुका तुम्हारा
तुम भी मेरी हो जाओ ।।
अधरों से गायब मुस्कानें
रहता मन आँगन सूना ।
देख कपोतों के जोड़ों को
अंतर् कष्ट बढ़े दूना ।।
पावन प्रेम-सुधा-घट बनकर
दर्द सभी तुम धो जाओ ।
मैं तो अब हो चुका तुम्हारा
तुम भी मेरी हो जाओ ।।
दे दो एक वचन हो मेरी
दो सँवार इस जीवन को ।
विश्वासों की बरसातों से
कर दो हरा-भरा मन को ।।
आज पिला चाहत का प्याला
अंक मदिर में सो जाओ ।
मैं तो अब हो चुका तुम्हारा
तुम भी मेरी हो जाओ ।।
डा. सुनीता सिंह ‘सुधा’
16/9/2022
वाराणसी ,©®