मात पिता गुरु बंधुप्रिय, भाखहि झूठ पे झूठ। मात पिता गुरु बंधुप्रिय, भाखहि झूठ पे झूठ। जानो कलियुग माहि तब, कुनबा नहीं अटूट।।