मातृशक्ति को नमन्
?? माँ ??
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माँ ममता मूरत मधुर,माँ मधुरिम मनुहार।
सार सदा सतसत्य सा,शरण सकल संसार।
बेशक़ ग़म पर्वत रहें, माँ ना खाये खार।
पाठ पढ़ा के धैर्य का, करती है उपकार।
माँ मोती अनमोल है,माँ होती गुनखान।
माँ बिन बैरी जगत में,सब धन धूर समान।
किस मिट्टी का बना है , माँ तेरा ये गात।
सुख-दुःख में करता रहे, नेह भरी बरसात।
माँ के चरणों में सदा,रहते चारों धाम।
माँ वंदन से खुश रहें, रघुपति राजाराम।
हर घर में पैदा किया, प्रभु ने अपना रूप।
नाम उसे माँ दे दिया, शाश्वत शुद्ध स्वरूप।
माँ की रोटी स्वाद में,लगती छप्पन-भोग।
सर पे फेरे हाथ जो, कट जाते सब रोग।।
पूत कपूत सुने सदा,मात न सुनी कुमात।
तेज जगत की धूप में,ममता की बरसात।
जग की सब नेमत मिलें, माँ के चूमो पांव।
किसी पेड़ की है नहीं, माँ के जैसी छाँव।
माँ ममता की छाँव है, माँ है ईश्वर रूप।
माँ का सर पर हाथ हो,नहीं सताती धूप।
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? तेज✍