मातृभूमि की महिमा
मातृभूमि की महिमा
भारत माता भाग्य विधाता,तेरे चरणों में वंदन है।
तेरी कर्ज चुका न पाऊ,मेरा सादर अभिनन्दन है।
रज कण में खेले कुदे,इस मिट्टी की सौगंध है।
हम पर दया कर मां,तेरे चरणों में अभिनंदन है।
इस मिट्टी में जन्म लिए,हम आपके पुत्र पुत्री है।
हम सबकी माता आप,तेरे चरणों में अर्पण है।
नदी नाला पर्वत पठार ,और वन सम्पदा है।
सारे चीज को दिए मां,तेरे चरणों में समर्पण है।
शीश झुकाऊ तुम पर मां,सर्वस्व न्यौछावर करते है।
हम पर कृपा कर मां,तेरे चरणों में अभिनंदन है।
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रचनाकार कवि डीजेन्द्र क़ुर्रे “कोहिनूर”
पीपरभवना, बिलाईगढ़, बलौदाबाजार (छ. ग.)
8120587822