“माता”
मातृदिवस पर माता के चरणों में समर्पित कुंडलिया
* “माता”*
माता माता सब कहे,मैं भी कहता आज।
करता जननी साधना, रहता जिन पर नाज।
रहता जिन पर नाज, तुम्हीं से जीवन पाया।
मानस वंदन आज, मिले बस तेरी छाया
कह प्रशांत कविराय, व्यर्थ के शब्द जुटाता।
चरणों में सब राज, कहे जा माता माता।
प्रशांत शर्मा “सरल”
नरसिंहपुर