” माता-पिता और गुरु में फर्क “
” अद्भूत सा एक रिश्ता बनाया ,
एक शिष्य को गुरु से मिलाया । ”
एक छोटा सा फर्क होता है माता-पिता और गुरु में ,
जिसका परिणाम बहुत अद्भूत होता है ।
माता – पिता बच्चे का हर दुख – दर्द अपने पर लेने की क्षमता रखते है ,
गुरु बच्चे को आग में तपाकर कोहिनूर सा निखारता है ।
माता-पिता अपने अनुभव और विचारधारा बच्चों को समझाते हैं ,
वो गुरु ही तो है जो निरीक्षण करना सीखाकर आगे बढ़ना सिखाता है ।
माता-पिता अपना नजरिया बच्चों को दिखाते हैं,
वो गुरु ही तो है जो अपने नज़र से दुनिया दिखाता है।
माता पिता उसी दिन से गुरु बन जाते हैं जब वो अपनी विचारधारा बच्चों पर थोपने के बजाए निरीक्षण करने को कहें ।
?? धन्यवाद ??
– ज्योति