माता की ममता
माता की ममता
1
माता की ममता भला , कैसे सकूँ बखान
मेरी तो मति मूढ़ है , उसकी कीर्ति महान
उसकी कीर्ति महान ,कष्ट निज सर पर लेती
भोजन ,वसन , दुलार , हमें हर पल वह देती
रखें न निज का ख्याल ,भला कैसा यह नाता
सुत के सुख की बात , सोचती प्रतिपल माता
2
ममता मुझपर है भला , तुझमें कितनी मात
अपना ख्याल करे नहीं , करती मेरी बात
करती मेरी बात , लोरियाँ मुझे सुनाती
मुझको हर्षित देख , स्वयं हर्षित हो जाती
उपमा मिले न एक , करे जो तेरी समता
तुझ सम तू ही मात , और बस तेरी ममता