माटी
माटी से है रिश्ता गहरा,
माटी से बचपन की यारी।
माटी की गोद में हम खेले,
माटी से है खुशियाँ सारी।।
बड़े हुए माटी में खेलकर,
माटी से प्रेम है अपार।
माटी हमारी जीवन दाता,
माटी के अनगिनत उपकार।।
माटी से है यह हरियाली ,
माटी से है जन और वन।
माटी बिना है सूना जीवन,
माटी में ही उपजता अन्न।।
माटी की महिमा अपरम्पार,
माटी है मातृभूमि का रूप ।
माटी को नमन है बारंबार।
माटी है ईश्वर का स्वरूप ।।