माजरा बेवक्त रुखसत का ..
आज फिर महफिल ए दुनिया छोड़ गया कोई ।
और जाते हुए उम्मीदों के चिराग बुझा गया कोई ।
ये क्या है माजरा बेवक्त की रूखसती का खुदा जाने ,
अपनो के दामन को फिर आंसुओं से भिगो क्या कोई ।
आज फिर महफिल ए दुनिया छोड़ गया कोई ।
और जाते हुए उम्मीदों के चिराग बुझा गया कोई ।
ये क्या है माजरा बेवक्त की रूखसती का खुदा जाने ,
अपनो के दामन को फिर आंसुओं से भिगो क्या कोई ।