माखन चौर
2212 2212
नटखट से कन्हैयो तिरो
मटकी से माखन खायो मिरो
छौरा है माखन चोर रे
हाथों मैं जिसके मौर रे
फोड़े जे मटकी दूर से
खाता है माखन चूर के
समझायो मत कर शैतानी
छोटी से छोटी नादांनी
माता को होंगी झेलनी
पीछा करेगो दूर से
जाके कहूँ मैं जोर से
छौरा है माखन चोर रे
हाथों मैं जिसके मौर रे
छुप छुप के देखे कान्हैया
ओ- कान्हैया की माइया
नटखट बड़ा है कान्हैया
समझा ले इसको दाइया
देखे है सबको घूर के
बैठा हुआ वों दूर से
छौरा है माखन चोर रे
हाथों मैं जिसके मौर रे
लेखक – ज़ुबैर खान……….✍🏻