माई, ओ मेरी माई री
माई, ओ मेरी माई री।- (2)
मैं छोड़ चली, तेरा आंगण री।।
सँग पिया के, होकर विदा।
मैं छोड़ चली, तेरा साथ री।।
माई, ओ मेरी———————।।
लाड़ लड़ाया मुझको, गोद में तुमने।
लगाकर रखा मुझको, सीने से तुमने।।
मेहंदी हाँथों में, पिया की रचाकर।
मैं छोड़ चली, तेरा आँचल री।।
माई, ओ मेरी—————-।।
लगी चोट मुझको तो, रोई बहुत तू।
मेरी खुशियों के लिए, जी है सदा तू।।
और आज तुमसे, लेकर विदाई।
मैं छोड़ चली, तेरा हाथ री।।
माई, ओ मेरी—————।।
बाबुल तेरी छोड़कर, यह नगरिया।
और छोड़कर मैं अपनी सहेलियां।।
बचपन के अपने खिलौनें- गुड़िया।
मैं छोड़ चली, लेकर याद री।।
माई, ओ मेरी————–।।
शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)