मां
प्रथम वन्दना मां है ,मां की आरती उतारें।
मां के चरणों में रहकर हम अपना जन्म गुजारें।
मां देती है मीठी लोरी हमको रोज सुलाने को।
मीठे ख्वाबों मे खोकर सारे दुःख दर्द भुलाने को।
बचपन की यादें करतीं हमको मजबूर रुलाने को।
फिर से छेड़ो मीठी लोरी इस बिटिया को सुलाने को।
मां तेरी लोरी को सुनकर प्रभु भी जन्म सुधारें।
मां____
वो जादू तेरी लोरी मे देव भी जिसको तरसें।
नित्य देव अर्चन करते किन्तु दर्शन को तरसे।
मां तेरी वाणी से सदा आशीष भाव ही बरसे।
तेरी बाहों में झूलूँ तो मन मेरा यह हरषे।
कृपा दृष्टि रहे आजीवन ह्रदय में रहें तुम्हारे।
मेरे लिए सुंदर सपनों का जो महल सजाया है।
उन सपनों को पूर्ण करूं यह मन में भाव समाया है।
मां तेरे तप का तेरी बिटिया ने ध्यान लगाया है।
आशीषों के बल पे रेखा पूर्ण हों ख़्वाब तुम्हारे।।
मां को समर्पित कविता