मां मुझको भी प्यार करो
मां
किसी बेटी ने न कहा होगा
जो आज मैं कहती हूं
क्यों सब बच्चों में
सबसे ज्यादा उपेक्षित
मैं रहती हूं ।
माना मैं थी सबसे बडी
तो समझदारी की
सौगात मिली
लेकिन मेरे हिस्से का
बचपन तो मुझको
दे देतीं मां,
जब मुझे गोद से
उतारकर तुम
बहना को गोदी लेती थीं,
तब एक हाथ से पकड मुझे
ममता अपनी
दे देती मां।
जब लडाई होती
हम बच्चों में
तब मुझे ही क्यूं
समझदारी का सबक
तुमने सिखाया मां
क्यूं मैं भी जिद कर सकती हूं
ये मुझको नही
बताया मां।
क्यूं छोटे हमेशा
छोटे रहे
और मुझे बचपन से बडा
बनाया मां,
क्यूं सबको हार पर
भी डांटा न तुमने
और मेरी जीत पर भी
मुझे नहीं गले लगाया मां।
देखो आज भी तुम्हारी
ये बच्ची
तुम्हारे प्यार के लिए
रोती है मां
घर के किसी अकेले कोने में
आंचल अपना भिगोती है मां,
मां तुम्हारा प्यार तो
सबने देखा
अपनी बच्ची का प्यार
क्या देख पाओगी तुम,
क्या पोंछोगी आंसू मेरे
क्या मुझे कभी
गले लगाओगी मां।