मां
मां
घुटनों पर रेंगते रेंगते जाने कब पैरों पर खड़ी हो गई।
तेरी ममता की छांव में न जाने कब मैं बड़ी हो गई।
काला टीका दूध मलाई आज भी सब बैंसे का बैंसा है।
मैं ही मैं हूं मां हर जगह प्यार ये तेरा कैसा है। सीधी साधी भोली भाली मैं ही सबसे अच्छी हूं।
कितनी भी हो जाऊं बड़ी मां मैं आज भी तेरी बच्ची हूं।
Dr. shakreen sageer