मां
वक्त गुजरा तो गुज़र जाने दो,
घटाएं गम की खूब छाने दो।
दुवाएं मां की हैं मेरे साथ अभी,
मुझे तुम चैन से सो जाने दो।।
रूठ के जाना है तो जाओ ना,
दिल किसी और से बहलाओ ना।
मैने मां से सिखा है मुहब्बत करना,
जहां भी जाना, वहां जाओ ना।।
रिश्ता है, न शर्त है न ठेका है,
जिस अंगीठी पे हाथ सेका है।
मां सिखाई थी प्रेम में जलना,
जलाना प्रेम नहीं महज़ धोखा है।।
तू है औरत, मां भी तो एक औरत है,
तू बेगैरत, मेरी मां में कितनी गैरत है।
वजह है तू, मां ने घर छोड़ा ‘संजय’,
तू है रूबरू अभी भी, मुझे हैरत है।।
जै हिंद