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21 Dec 2023 · 1 min read

मां…

बुलंदी की हर वो सीढी याद रहती है,
मैं पागल हो भी जाऊं तो माॅ याद रहती है,

इस दौर के बेटे बीवी को सबब बताते हैं,
कामयाबी के हर मुकाम पर मुझे मां याद रहती है,

मैं भूल जाऊं सारा जहां असल में,
ख्वाबों में भी मगर मुझे मां याद रहती है,

कभी बाली, कभी कंगन, कभी कोई और जेवर बेचा,
कर्जदार है मेरी मुकम्मल जिंदगी हर व जेवर की!
मैं चांदी के चम्मच से खाऊं तो भी मां याद रहती है..

मां तो मां होती है..

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