मां शारदे कृपा बरसाओ
हे जग जननी मातु शारदे,
कृपा दृष्टि जग पर बरसाओ।
द्वेष दर्प का तम जग छाया,
सत्य ज्ञान दे इसे मिटाओ।
माया मोहित होकर मानव,
सत पथ से है रखता दूरी।
चमक दमक के जालक़ फंस,
भूला श्रद्धा और सबूरी।।
उचित ज्ञान का दीप जलाकर,
जग के तम को दूर भगाओ।
हे जग जननी मातु शारदे,
कृपा दृष्टि जग पर बरसाओ।
सार प्रेम का मानव समझे,
जीवन लक्ष्यों को पहचाने।
धर्म नीति अरु पाप पुण्य को,
अंतरमन से समझे जाने।
शक्ति ज्ञान की हर मानव में,
मातु तुम्हीं अब तो उपजाओ।
हे जग जननी मातु शारदे,
कृपा दृष्टि जग पर बरसाओ।
अर्थ लोभ से हटकर मानव,
भाव अहिंसा को अपनाए।
ओम विनय को सुन लो माता,
जग हित की है टेर लगाए।
दया दृष्टि रख ओम भक्त को,
स्वर्णिम जीवन का दर्श दिखाओ।।
हे जग जननी मातु शारदे,
कृपा दृष्टि जग पर बरसाओ।।
ओम प्रकाश श्रीवास्तव ओम