मां-बाप
आज अपने ही घर से बेघर हो रहे है।
वो देखो मां-बाप कितना जार जार रो रहे हो।।
चुन चुन कर ख्वाबों से यूं सजाया था।
दीवारों दर तो छूटा ही है रिश्ते भी खो रहे है।।
✍✍ताज मोहम्मद✍✍
आज अपने ही घर से बेघर हो रहे है।
वो देखो मां-बाप कितना जार जार रो रहे हो।।
चुन चुन कर ख्वाबों से यूं सजाया था।
दीवारों दर तो छूटा ही है रिश्ते भी खो रहे है।।
✍✍ताज मोहम्मद✍✍