मां गंगा
मां गंगा
तू गंगा,निर्मल , पतित पावनी …
तुमसे छूकर जो बहे वो पवन पावन सी …
देकर नई ऊर्जा कर दे पावस को भी मधुमास सी….
तू गंगा,निर्मल , पतित पावनी सी..
तुमआयुष्दायिन,पुन्यदायिनी …पुनीत पावन पंकजा सी….
ना राग,ना विराग,स्पर्श मात्र .. कर दे कंचन वो पारसमनीमुक्तजा….सी
अंजू पांडेय अश्रु