मां की शरण
मां के चरणों में आकर
मिलता है सुकून हमेशा
आता रहे बुलावा उसका
दर पर उसके जाऊंगा हमेशा
जो भी मांगा उससे मैंने
मिला उससे ज़्यादा हमेशा
अब क्या मांगू उससे मैं
मेरी झोली भरती है हमेशा
आता है जो भी शरण में
सबका दुख हर लेती है मां
जो भी जाए खाली हाथ
सबकी झोली भर लेती है मां
है ऊंची चोटी पर मंदिर उसका
फिर भी मुश्किल नहीं पहुंचना
हो मन में सच्ची श्रद्धा अगर
मुमकिन कर देगी तेरा पहुंचना
जा पाएगा तू दर पर तभी
जब उसका बुलावा होगा
लेकिन है व्यर्थ तेरा जाना वहां
मन में अगर छलावा होगा
तेरी भक्ति के अलावा
तुझसे कुछ नहीं चाहिए उसको
होगी तेरी प्राथना सच्ची तो
जन्म मरण के चक्र से तार देगी तुझको
क्या सोचता है अब भी तू
थाम ले तू भी दामन उसका
हो जा शामिल भक्तों की टोली में
तू लगाकर जयकारा उसका।